घर से निकला शहर को कमाने चला बोझ कंधो पे है वो निभाने चला!! घर से निकला शहर को कमाने चला बोझ कंधो पे है वो निभाने चला!!
यह सब जान लो आज मातृत्व का सम्मान हूँ तदबीर बदल सकती हूँ। यह सब जान लो आज मातृत्व का सम्मान हूँ तदबीर बदल सकती हूँ।
बस मेरा नाम गाँव है। अब मैं गाँव नहीं हूँ। शहर का पिद्दी सा पिछलग्गू हूँ। बस मेरा नाम गाँव है। अब मैं गाँव नहीं हूँ। शहर का पिद्दी सा पिछलग्गू हूँ।
कभी-कभी ज़िन्दगी से हताश हो जाते हैं हम खास तौर पर तब जब हम जैसा सोचते हैं वैसा नहीं होता है। कभी-कभी ज़िन्दगी से हताश हो जाते हैं हम खास तौर पर तब जब हम जैसा सोचते हैं वैसा न...
ये बदलाव की घड़ी है जागो सभी नारी, न दरिंदे चाहिए न ही कोई बलात्कारी। ये बदलाव की घड़ी है जागो सभी नारी, न दरिंदे चाहिए न ही कोई बलात्कारी।
मैं भी अब वैसी नहीं जैसे तुम देखा करते थे मैं रही ही नहीं अब तुम्हारे बाद....! मैं भी अब वैसी नहीं जैसे तुम देखा करते थे मैं रही ही नहीं अब तुम्हारे ...